Phule Movies:जाने आखिर इतनी जबरदस्त फिल्म क्यों नहीं हो रही रिलीज, क्या आ रही दिक्कत

Phule Movies:भारतीय सिनेमा में समय-समय पर ऐसी फिल्में आती हैं, जो समाज को नई दिशा दिखाती हैं। ‘फुले मूवीज’ भी ऐसी ही एक कोशिश है। यह फिल्म महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है। इस फिल्म ने रिलीज से पहले ही चर्चा बटोर ली है। कुछ लोग इसे सामाजिक बदलाव का प्रतीक मानते हैं। वहीं, कुछ संगठनों ने इस पर सवाल उठाए हैं। आइए, इस फिल्म के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Phule Movies

फुले मूवीज का उद्देश्य

‘फुले मूवीज’ का मकसद ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले के कार्यों को सामने लाना है। ज्योतिबा फुले ने 19वीं सदी में समाज में फैली कुरीतियों को चुनौती दी थी। उन्होंने जातिगत भेदभाव और महिलाओं की शिक्षा पर जोर दिया। उनकी पत्नी सावित्रीबाई ने भी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई। इस फिल्म में उनके संघर्ष और योगदान को दिखाया गया है। निर्माताओं का कहना है कि यह फिल्म नई पीढ़ी को प्रेरित करेगी।

फिल्म में ज्योतिबा फुले का किरदार प्रतीक गांधी ने निभाया है। प्रतीक एक मशहूर अभिनेता हैं। उन्होंने ‘स्कैम 1992’ जैसी सीरीज में अपनी प्रतिभा दिखाई थी। सावित्रीबाई फुले का रोल पत्रलेखा ने किया है। दोनों कलाकारों ने अपने किरदारों को जीवंत करने की कोशिश की है। फिल्म के निर्देशक अनंत नारायण महादेवन हैं। वे इतिहास से प्रेरित कहानियां बनाने के लिए जाने जाते हैं।

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कहानी का आधार

‘फुले मूवीज’ की कहानी 19वीं सदी के महाराष्ट्र में शुरू होती है। उस समय समाज में जातिगत भेदभाव चरम पर था। महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं था। ज्योतिबा ने इन रूढ़ियों को तोड़ने का बीड़ा उठाया। उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई के साथ मिलकर स्कूल खोले। यह स्कूल दलित और शोषित वर्ग की लड़कियों के लिए थे। फिल्म में उनके इस संघर्ष को बारीकी से दिखाया गया है।

कहानी में कई भावनात्मक पल हैं। ज्योतिबा और सावित्रीबाई को समाज के विरोध का सामना करना पड़ता है। लोग उनके खिलाफ बोलते हैं। फिर भी, वे हार नहीं मानते। फिल्म में उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाया गया है। साथ ही, उनकी प्रेम कहानी को भी खूबसूरती से दिखाया गया है। यह प्रेम कहानी केवल रोमांस तक सीमित नहीं है। यह उनके साझा सपनों और लक्ष्यों की कहानी है।

फिल्म की रिलीज और विवाद

‘फुले मूवीज’ की रिलीज डेट पहले 11 अप्रैल, 2025 तय की गई थी। लेकिन कुछ संगठनों ने फिल्म पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि फिल्म में कुछ समुदायों को गलत तरीके से दिखाया गया है। इन संगठनों ने सेंसर बोर्ड से फिल्म की रिलीज रोकने की मांग की। इसके बाद फिल्म की रिलीज टाल दी गई। यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से फैली। कई लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।

सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने लिखा कि फिल्म सच को सामने लाने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि ज्योतिबा फुले ने समाज के लिए बहुत कुछ किया। उनकी कहानी को दिखाना जरूरी है। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि फिल्म में संतुलन की कमी हो सकती है। इस विवाद ने फिल्म को और चर्चा में ला दिया। अब दर्शक उत्सुक हैं कि फिल्म कब रिलीज होगी।

फिल्म का निर्माण और तकनीकी पक्ष

‘फुले मूवीज’ का निर्माण बड़े पैमाने पर किया गया है। फिल्म में 19वीं सदी के महाराष्ट्र को जीवंत करने की कोशिश की गई है। सेट डिजाइन और कॉस्ट्यूम पर खास ध्यान दिया गया है। गाने और बैकग्राउंड म्यूजिक भी कहानी को और प्रभावशाली बनाते हैं। गानों में उस समय की भावनाओं को दर्शाया गया है।

सिनेमैटोग्राफी फिल्म का एक मजबूत पक्ष है। हर दृश्य में उस समय के माहौल को दिखाया गया है। चाहे वह गलियों की भीड़ हो या स्कूल की सादगी, हर चीज को बारीकी से फिल्माया गया है। फिल्म का बजट मध्यम स्तर का बताया जा रहा है। फिर भी, निर्माताओं ने गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया।

दर्शकों की उम्मीदें

‘फुले मूवीज’ से दर्शकों को बहुत उम्मीदें हैं। लोग चाहते हैं कि यह फिल्म ज्योतिबा और सावित्रीबाई के योगदान को सही तरीके से दिखाए। खासकर युवा दर्शक इस फिल्म से प्रेरणा लेना चाहते हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग लिख रहे हैं कि यह फिल्म समाज में बदलाव ला सकती है।

कुछ दर्शकों का मानना है कि यह फिल्म आज के समय में बहुत जरूरी है। आज भी समाज में जातिगत भेदभाव और लैंगिक असमानता मौजूद है। ज्योतिबा फुले की शिक्षाएं इन समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकती हैं। फिल्म के ट्रेलर को भी अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। ट्रेलर में प्रतीक और पत्रलेखा की केमिस्ट्री की तारीफ हो रही है।

फिल्म का सामाजिक प्रभाव

‘फुले मूवीज’ केवल एक फिल्म नहीं है। यह एक सामाजिक संदेश भी है। यह फिल्म लोगों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि समाज में बदलाव कितना जरूरी है। ज्योतिबा और सावित्रीबाई ने अपने समय में जो किया, वह आज भी प्रासंगिक है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि हिम्मत और मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

फिल्म में कई ऐसे दृश्य हैं, जो दर्शकों को भावुक कर सकते हैं। जैसे कि सावित्रीबाई का बच्चों को पढ़ाने का दृश्य। या फिर ज्योतिबा का समाज के खिलाफ बोलने का साहस। ये पल दर्शकों के दिल को छू सकते हैं। फिल्म का अंत भी प्रेरणादायक बताया जा रहा है। यह दर्शकों को सोचने के लिए कुछ देता है।

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फिल्म के पीछे की चुनौतियां

‘फुले मूवीज’ को बनाना आसान नहीं था। निर्माताओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती थी इतिहास को सही तरीके से दिखाना। ज्योतिबा और सावित्रीबाई के जीवन पर कई किताबें और लेख उपलब्ध हैं। लेकिन इनका फिल्म में रूपांतरण करना मुश्किल था।

इसके अलावा, फिल्म को विवादों का भी सामना करना पड़ा। कुछ संगठनों ने फिल्म को रिलीज से पहले ही निशाना बनाया। इन सबके बावजूद, निर्माताओं ने हार नहीं मानी। उनका कहना है कि यह फिल्म समाज के लिए बनाई गई है। वे चाहते हैं कि लोग ज्योतिबा और सावित्रीबाई की कहानी को जानें।

भविष्य की संभावनाएं

‘फुले मूवीज’ की रिलीज डेट अभी तय नहीं हुई है। लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही इसे सिनेमाघरों में देखा जा सकेगा। फिल्म को कई फिल्म फेस्टिवल्स में भी भेजा गया है। वहां से इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है।

यह फिल्म न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी चर्चा बटोर सकती है। ज्योतिबा और सावित्रीबाई की कहानी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा है। अगर फिल्म को सही तरीके से प्रमोट किया गया, तो यह एक बड़ी सफलता बन सकती है।

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